विवेक उत्पन्न होने पर औपाधिक दुख सुखादि - अहंकार, प्रारब्ध, कर्म और संस्कार के लोप हो जाने से आत्मा के चितस्वरूप होकर आवागमन से मुक्त हो जाने की स्थिति को कैवल्य कहते हैं। यह मोक्ष प्राप्त करने का एक अहम मार्ग माना जाता है। अधिक जानकारी के लिए देखिए यह वीडियो
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१ कैवल्य या केवलत्व अकेलेपन की एक स्थिति है, जो द्वंद्व और बंधनों से विपरीत है। इस स्थिति को प्राप्त करने वाले को केवली कहा जाता है
२ कैवल्य का शाब्दिक अर्थ 'एकाकी(अकेले) रहना' है। यह स्थिति में तपस्या, योग अभ्यास और अनुशासन का पालन कर प्राप्त की जा सकती है
३ योग और सांख्य तत्वज्ञान में अक्सर इस शब्द का उल्लेख किया जाता है और इसे अंतिम लक्ष्य के रूप में माना जाता है। जो सांसारिक जीवन से निवृत्त होकर एकांत की ओर प्रतिनिधित्व करता है।
४ हिंदू धर्म के सांख्य विद्यालयों में ऐसा कहा गया है की व्यक्ति अपने कर्मा के कारण सांसारिक जीवन से बाध्य है और कैवल्य के माध्यम से ही वह इनसे मुक्त हो सकता है
५ पतंजलि के ३४ योग सूत्र बताते हैं कि एक योगी जो कैवल्य को प्राप्त करते है, वे सभी बंधनों से मुक्त होते हैं और चेतना की पूर्ण अवस्था को प्राप्त करते हैं
६ रज योग के अनुसार, कैवल्य आत्मज्ञान का अंतिम चरण है, जिसके माध्यम से योगी मोक्ष या निर्वाण प्राप्त करते हैं
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